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अक़ीदा - الصفحة 4
अक़ीदा - الصفحة 4
24- ऐ अबू आइशा! तीन बातें ऐसी हैं कि जिसने उनमें से कोई एक बात कही, उसने अल्लाह पर बहुत बड़ा झूठ बाँधा
28- अल्लाह के कुछ फ़रिश्ते हैं, जो धरती में घूमते फिरते हैं, वे मुझे मेरी उम्मत का सलाम पहुँचाते हैं
66- अंतिम ज़माने में तुम्हारे बीच एक ऐसा ख़लीफ़ा होगा, जो लप भर-भरकर धन देगा और उसकी गणना भी नहीं करेगा।
96- तुम्हारे साथी हनज़ला को फ़रिश्ते स्नान दे रहे हैं, ज़रा उनकी पत्नी से पूछो तो सही कि बात क्या है?
