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जब रमज़ान का महीना आता है, तो जन्नत के द्वार खोल दिए जाते हैं, जहन्नम के द्वार बंद कर दिए जाते हैं और शैतानों को…
जब रमज़ान का महीना आता है, तो जन्नत के द्वार खोल दिए जाते हैं, जहन्नम के द्वार बंद कर दिए जाते हैं और शैतानों को बेड़ियों में जकड़ दिया जाता है।
अबू हुरैरा -रज़ियल्लाहु अन्हु- का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया है : "जब रमज़ान का महीना आता है, तो जन्नत के द्वार खोल दिए जाते हैं, जहन्नम के द्वार बंद कर दिए जाते हैं और शैतानों को बेड़ियों में जकड़ दिया जाता है।"
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अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने बताया है कि जब रमज़ान का महीना प्रवेश करता है, तो तीन काम होते हैं : 1- जन्नत के द्वार खोल दिए जाते हैं। उसका कोई द्वार बंद नहीं रहता। 2- जहन्नम के द्वार बंद कर दिए जाते हैं। उसका कोई भी द्वार खुला नहीं रहता। 3- शैतानों और सरकश जिन्नों को ज़ंजीरों से बाँध दिया जाता है। इसलिए वे रमज़ान के महीने में वह नहीं कर पाते जो अन्य महीनों में कर लेते हैं। ये सब कुछ इस महीने के सम्मान में तथा अल्लाह के बंदों को नमाज़, सदक़ा, ज़िक्र और क़ुरआन की तिलावत आदि नेकी के कामों की प्रेरणा देने तथा गुनाहों एवं अवज्ञाकारियों से दूर रहने का वातावरण बनाने के लिए किया जाता है।فوائد الحديث
रमज़ान महीने की फ़ज़ीलत।
इस महीने में रोज़ा रखने वालों के लिए यह सुसमाचार कि यह मुबारक महीना इबादत और नेकी का महीना है।
रमज़ान महीने में शैतानों को ज़ंजीरों से जकड़ दिए जाने में एक तरह से इस बात की ओर इशारा है कि अब शरई आदेशों एवं निषेधों का पालन करने के पाबंद व्यक्ति के लिए हीले-बहाने की कोई गुंजाइश नहीं रह गई है। एक तरह से यह इस बात का एलान है कि अब शैतानों को तुम्हें बहकाने से रोक दिया गया है। इसलिए तुम यह उज़्र और बहाना नहीं सकते कि हम शैतान के बहकावे के कारण नेकी का काम नहीं कर सके या गुनाह से बच नहीं सके।
क़ुर्तुबी कहते हैं : अब अगर यह कहा जाए; हम रमज़ान महीने में बहुत-सी बुराइयाँ और गुनाह होते हुए क्यों देखते हैं? अगर शैतानों को ज़ंजीरों में जकड़ दिया गया है तो ऐसा नहीं होना चाहिए था? इसका जवाब यह है कि गुनाह ऐसे रोज़ेदारों से कम हुआ करते हैं, जो रोज़े की शर्तों तथा आदाब का ख़्याल रखते हुए रोज़ा रखते हैं। एक जवाब यह भी हो सकता है कि ज़ंजीरों में सारे शैतानों को नहीं जकड़ा जाता है, बल्कि केवल सरकश शैतानों को जकड़ा जाता है, जैसा कि कुछ रिवायतों में पीछे गुज़र चुका है। या उद्देश्य इस महीने में गुनाहों को कम करना भी हो सकता है, जिसे हम महसूस भी कर सकते हैं। यह एक सच्चाई है कि इस महीने में दूसरे महीनों की तुलना में कम गुनाह हुआ करते हैं, क्योंकि तमाम शैतानों को ज़ंजीरों में जकड़ दिए जाने से यह लाज़िम नहीं आता कि कोई गुनाह न हो, क्योंकि गुनाह अशुद्ध आत्माओं, बुरी आदतों और इन्सानरुपी शैतानों के कारण भी हुआ करते हैं।
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रोज़े की फ़ज़ीलत