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मुसलमान का तहबंद आधी पिंडली तक होना चाहिए और यदि आधी पिंडली एवं टखने के बीच हो, तो भी कोई हर्ज (अथवा गुनाह) नहीं है।…
मुसलमान का तहबंद आधी पिंडली तक होना चाहिए और यदि आधी पिंडली एवं टखने के बीच हो, तो भी कोई हर्ज (अथवा गुनाह) नहीं है। हाँ, जो दोनों टखनों से नीचे होगा, वह जहन्नम में होगा, तथा जो अपना तहबंद अभिमान के तौर पर लटकाएगा, अल्लाह उसपर अपनी नज़र नहीं डालेगा।
अबू सईद ख़ुदरी -रज़ियल्लाहु अनहु- का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया है : "मुसलमान का तहबंद आधी पिंडली तक होना चाहिए और यदि आधी पिंडली एवं टखने के बीच हो, तो भी कोई हर्ज (अथवा गुनाह) नहीं है। हाँ, जो दोनों टखनों से नीचे होगा, वह जहन्नम में होगा, तथा जो अपना तहबंद अभिमान के तौर पर लटकाएगा, अल्लाह उसपर अपनी नज़र नहीं डालेगा।"
[सह़ीह़] [رواه أبو داود وابن ماجه وأحمد]
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अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने यहाँ बताया है कि एक मुसलमान की लुंगी यानी पुरुषों के शरीर के निचले आधे भाग को ढाँकने वाले कपड़े की तीन हालतें हुआ करती हैं : 1- लुंगी को आधी पिंडली तक रखना मुसतहब है। 2- आधी पिंडली से टखनों यानी पिंडली और क़दम के जोड़ के पास की दो उभरी हुई हड्डियों के बीच रखना जायज़ है और इसमें कोई कराहत नहीं है। 3- टखनों से नीचे लटकाना हराम है। डर इस बात का है कि उसे आग की यातना का सामना करना पड़े। ऐसा अगर अभिमान एवं सरकशी में किया जाता है, तो अल्लाह उसकी ओर देखेगा तक नहीं।فوائد الحديث
यह चेतावनी केवल पुरुषों के साथ खास है। महिलाएँ इसके दायरे में नहीं आतीं, क्योंकि उनको पूरा शरीर छुपाकर रखने का आदेश है।
पुरुषों के शरीर के निचले आधे भाग को ढाँकने वाले हर कपड़े, जैसे पाजामाम और उसकी तरह के अन्य कपड़ों को इज़ार कहा जाएगा और ये सारे कपड़े इस हदीस में बयान किए गए शरई निर्देश के दायरे में आएँगे।
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परिधान के आदाब