अंतिम दिन पर ईमान

अंतिम दिन पर ईमान

2- "जिसने इस बात की गवाही दी कि केवल अल्लाह ही सत्य पूज्य है, उसका कोई साझी नहीं है, एवं मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अल्लाह के बंदे और उसके रसूल हैं, और ईसा भी अल्लाह के बंदे, उसके रसूल तथा उसका शब्द हैं, जिसे उसने मरयम की ओर डाला था और उसकी ओर से भेजी हुई आत्मा हैं, तथा जन्नत और जहन्नम सत्य हैं@, ऐसे व्यक्ति को अल्लाह जन्नत में दाख़िल करेगा, चाहे उसका अमल जैसा भी रहा हो।"

4- हम अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास थे कि आपने एक रात -चौदहवीं की रात- चाँद की तरफ़ देखकर फ़रमाया : "@बेशक तुम अपने रब को उसी तरह देखोगे, जैसे इस चाँद को देख रहे हो। उसे देखने में तुम्हें कोई दिक़्क़त नहीं होगी*। अतः यदि तुमसे हो सके कि सूरज निकलने और डूबने से पहले की नमाज़ों पर किसी चीज़ को हावी (प्रभावित) न होने दो, तो ऐसा ज़रूर करो।" फिर आपने यह आयत पढ़ी : {وَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ قَبْلَ طُلُوعِ الشَّمْسِ وَقَبْلَ الْغُرُوبِ} (तथा सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त से पहले अपने रब की प्रशंसा के साथ पवित्रता बयान कर।)

6- "अल्लाह क़यामत के दिन मेरी उम्मत से एक व्यक्ति को चुनकर सारी सृष्टियों के सामने उपस्थित करेगा* और उसके सामने निन्यानवे रजिस्टरों को खोलकर रख देगा। हर रजिस्टर वहाँ तक फैला होगा, जहाँ नज़र जाती हो। फिर कहेगा : क्या तुम इनके अंदर लिखी किसी बात से इनकार करते हो? क्या इनको तैयार करने पर नियुक्त मेरे फ़रिश्तों ने तुमपर कोई अत्याचार किया है? वह कहेगा : नहीं, ऐ मेरे रब! फिर अल्लाह कहेगा : क्या तुम्हारे पास प्रस्तुत करने के लिए कोई कारण है? वह कहेगा : नहीं, ऐ मेरे रब! यह सुन अल्लाह कहेगा : हमारे पास तुम्हारी एक नेकी रखी है। देखो, आज तुमपर कोई अत्याचार नहीं होगा। चुनांचे एक पर्ची निकाली जाएगी, जिसमें लिखा होगा : मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के अतिरिक्त कोई सत्य पूज्य नहीं है और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद अल्लाह के बंदे और उसके रसूल हैं। फिर अल्लाह उससे कहेगा : अपने कर्मों को तोले जाने का दृश्य देखो। यह सुन वह कहेगा : इन रजिस्टरों के सामने इस एक पर्ची की क्या हैसियत है? लेकिन अल्लाह कहेगा : तुमपर कोई अत्याचार नहीं होगा। आपने कहा : एक पलड़े में सारे रजिस्टर रखे जाएँगे और दूसरे पलड़े में उस पर्ची को रखा जाएगा। चुनांचे रजिस्टर हल्के साबित होंगे और परर्ची भारी सिद्ध होगी, क्योंकि अल्लाह के नाम से ज़्यादा भारी कोई चीज़ नहीं है।"

7- जब अल्लाह ने जन्नत एवं जहन्नम को पैदा किया, तो जिबरील अलैहिस्सलाम* को जन्नत की ओर भेजा और फ़रमाया : जन्नत को और जन्नत के अंदर जन्नत वासियों के लिए मैंने जो कुछ तैयार किया है, उसे देख आओ। चुनांचे जिबरील ने जन्नत को देखा, वापस आए और कहा : तेरी प्रतिष्ठा की क़सम, जन्नत के बारे में जो भी सुनेगा, वह उसमें दाखिल हो ही जाएगा। चुनांचे अल्लाह ने आदेश दिया और उसे अप्रिय वस्तुओं से घेर दिया गया। इसके बाद फिर जिबरील से कहा : जन्नत की ओर जाओ और उसे तथा उसके अंदर जन्नत वासियों के लिए मैंने जो कुछ तैयार किया है, उसे देख आओ। इस बार देखा तो पाया कि उसे अप्रिय वस्तुओं से घेर दिया गया है। अतः उन्होंने कहा : तेरी प्रतिष्ठा की क़सम, मुझे इस बात का डर लग रहा है कि इसमें कोई दाख़िल ही नहीं हो सकेगा। इसके बाद अल्लाह ने उनसे कहा : जाओ और जहन्नम को तथा उसके अंदर मैंने जहन्नम वासियों के लिए जो कुछ तैयार किया है, उसे देख आओ। चुनांचे उन्होंने देखा तो पाया कि जहन्नम का एक भाग दूसरे भाग पर चढ़े जा रहा है। अतः वह लौट आए और बोले : तेरी प्रतिष्ठा की क़सम, उसमें कोई दाख़िल ही नहीं होगा। चुनांचे अल्लाह ने आदेश दिया और उसे आकांक्षाओं से घेर दिया गया। इसके बाद अल्लाह ने कहा : दोबारा जाओ और उसे देख लो। उन्होंने इस बार देखा तो पाया कि उसे आकांक्षाओं से भर दिया गया है। अतः वापस हुए और बोले : तेरी प्रतिष्ठा की क़सम, मुझे इस बात का डर है कि उसमें कोई दाखिल होने से बच ही नहीं सकेगा।"

9- अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम दो क़ब्रों के पास से गुज़रे, तो फ़रमाया : "@इन दोनों को यातना दी जा रही है, और वह भी यातना किसी बड़े पाप के कारण नहीं दी जा रही है। दोनों में से एक पेशाब से नहीं बचता था, और दूसरा लगाई- बुझाई करता फिरता था।*" फिर आपने एक ताज़ा शाखा ली, उसे आधा-आधा फाड़ा और हर एक क़ब्र में एक-एक भाग को गाड़ दिया। सहाबा ने पूछा कि ऐ अल्लाह के रसूल! आपने ऐसा क्यों किया? तो आपने जवाब दिया : "शायद इन दोनों की यातना को उस समय तक के लिए हल्का कर दिया जाए, जब तक यह दोनों शाखाएँ सूख न जाएँ।"

28- "क्या तुम जानते हो कि निर्धन कौन है?*" सहाबा ने कहा : हमारे यहाँ निर्धन वह है, जिसके पास न दिरहम हो न सामान। आपने कहा : "मेरी उम्मत का निर्धन वह व्यक्ति है, जो क़यामत के दिन नमाज़, रोज़ा और ज़कात के साथ आएगा, लेकिन इस अवस्था में उपस्थित होगा कि किसी को गाली दी होगी, किसी पर दुष्कर्म का आरोप लगा रखा होगा, किसी का रक्त बहा रखा होगा और किसी को मार रखा होगा। अतः उसकी कुछ नेकियाँ इसे दे दी जाएँगी और कुछ नेकियाँ उसे दे दी जाएँगी। फिर अगर उसके ऊपर जो अधिकार हैं, उनके भुगतान से पहले ही उसकी नेकियाँ समाप्त हो जाएँगी, तो हक़ वालों के गुनाह लेकर उसके ऊपर डाल दिए जाएँगे और फिर उसे आग में फेंक दिया जाएगा।"

37- जिसने अज़ान सुनने के बाद यह दुआ पढ़ी : اللهم رب هذه الدعوة التامة، والصلاة القائمة، آت محمدا الوسيلة والفضيلة، وابعثه مقاما محمودا الذي وعدته अर्थात "ऐ अल्लाह! इस संपूर्ण आह्वान तथा खड़ी होने वाली नमाज़ के रब! मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को वसीला (जन्नत का सबसे ऊँचा स्थान) और श्रेष्ठतम दर्जा प्रदान कर और उन्हें वह प्रशंसनीय स्थान प्रदान कर, जिसका तूने उन्हें वचन दिया है।" उसके लिए क़यामत के दिन मेरी सिफ़ारिश अनिवार्य हो जाएगी।

42- "यह धर्म वहाँ तक ज़रूर पहुँचेगा, जहाँ दिन और रात पहुँचती है। अल्लाह किसी नगर तथा गाँव और देहात तथा रेगिस्तान का कोई घर नहीं छोड़ेगा, जहाँ इस धर्म को दाख़िल न कर दे। इस प्रकार, सम्मानित व्यक्ति को सम्मान मिलेगा और अपमानित व्यक्ति का अपमान होगा। ऐसा सम्मान, जो अल्लाह इस्लाम के आधार पर प्रदान करेगा तथा ऐसा अपमान जिससे अल्लाह कुफ़्र की बिना पर दोचार करेगा।"* तमीम दारी रज़ियल्लाहु अन्हु कहा करते थे : मैंने इसे ख़ुद अपने परिवार के सदस्यों में देखा है। उनमें से जो मुसलमान हुआ, उसे भलाई, ऊँचाई और सम्मान मिला और जो काफ़िर ही रहा, उसे अपमान तथा निरादर का सामना करना पड़ा और जिज़या देना पड़ा।

44- "अल्लाह किसी मोमिन के द्वारा किए गए किसी अच्छे काम के महत्व को घटाता नहीं है। मोमिन को उसके अच्छे काम के बदले में दुनिया में नेमतें प्रदान की जाती हैं और आख़िरत में प्रतिफल दिया जाता है*। जबकि काफ़िर को उसके द्वारा अल्लाह के लिए किए गए अच्छे कामों के बदले में दुनिया में आजीविका प्रदान कर दी जाती है, यहाँ तक कि जब वह आख़िरत की ओर प्रस्थान करता है, उसके पास कोई अच्छा काम नहीं होता, जिसका उसे बदला दिया जाए।"

49- "क़यामत उस समय तक नहीं आएगी, जब तक सूरज अपने डूबने के स्थान से न निकले। जब सूरज अपने डूबने के स्थान से निकलेगा और लोग देखेंगे, तो सब लोग ईमान ले आएँगे*। ऐसा उस समय होगा, जब : " किसी प्राणी को उसका ईमान लाभ नहीं देगा, जो पहले ईमान न लाया हो या अपने ईमान की हालत में कोई सत्कर्म न किया हो।" [सूरा अल-अनआम : 158] क़यामत इस तरह आएगी कि दो लोगों ने अपने बीच कपड़े फैला रखे होंगे, न उसकी खरीद-बिक्री कर सकेंगे और न उसे समेट सकेंगे। क़यामत इस तरह आएगी कि आदमी अपनी ऊँट को दूह चुका होगा, लेकिन दूध पी नहीं सकेगा। क़यामत इस तरह आएगी कि आदमी अपने हौज़ को ठीक कर रहा होगा, लेकिन उसका पानी पी नहीं सकेगा। क़यामत इस तरह आएगी कि आदमी निवाला मुँह तक उठा चुका होगा, लेकिन उसे खा नहीं सकेगा।"

53- "मैं हौज़ (तालाब) के पास ही रहूँगा, ताकि देख सकूँ कि तुममें से कौन-कौन मेरे पास पानी पीने आता है। कुछ लोगों को मेरे पास आने से रोक दिया जाएगा, तो मैं कहूँगा कि ऐ मेरे रब! ये मेरे तथा मेरी उम्मत के लोग हैं*।" चुनांचे कहा जाएगा : क्या तुम्हें मालूम है कि इन लोगों ने तुम्हारे बाद क्या अमल क्या है? अल्लाह की क़सम, ये लोग अपनी एड़ियों के बल (आपके दीन से) लौटते रहे।"

54- मैंने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल! हौज़ (तालाब) के बर्तनों के बारे में आप क्या कहेंगे? आपने कहा : "@उस हस्ती की क़सम, जिसके हाथ में मुहम्मद की जान है, उसके बर्तन आकाश के तारों एवं ग्रहों से अधिक होंगे*। सुन लो, मैं बात अंधेरे तथा साफ़ आकाश वाली रात की कर रहा हूँ। हौज़ के बर्तन ऐसे होंगे कि जो उनसे पानी पी लेगा, उसे कभी प्यास नहीं लगेगी। उस में जन्नत के दो परनाले गिर रहे होंगे। जो इस हौज़ का पानी पी लेगा, उसे कभी प्यास नहीं लगेगी। उसकी चौड़ाई उसकी लंबाई के समान होगी।(और यह उतना होगा जितना कि ) अम्मान और ऐला के बीच है। उसका पानी दूध से ज़्यादा सफ़ेद और शहद से ज़्यादा मीठा होगा।"

55- "क़यामत के दिन मौत को एक चितकबरे मेंढे* के रूप में लाया जाएगा। फिर एक आवाज़ देने वाला आवाज़ देगा : ऐ जन्नत वासियो! चुनांचे वे ऊपर नज़र उठाकर देखेंगे। आवाज़ देने वाला कहेगा : क्या तुम इसको पहचानते हो? वे कहेंगे: हाँ। यह मौत है और सब ने उसको देखा है। फिर वह आवाज़ देगा : ऐ जहन्नम वासियो! चुनांचे वह भी अपनी गर्दन उठाकर देखेंगे। फिर वह कहेगा : क्या तुम इसको पहचानते हो? वे कहेंगे : हाँ। सब ने उसे देखा है। फिर उस मेंढे को ज़बह कर दिया जाएगा और आवाज़ देने वाला कहेगा : ऐ जन्नत वासियो! तुम्हें हमेशा यहाँ रहना है, अब किसी को मौत नहीं आएगी । ऐ जहन्नम वासियो! तुम्हें भी यहाँ हमेशा रहना है, अब किसी को मौत नहीं आएगी। फिर आपने यह आयत तिलावत फरमाई : “और (ऐ नबी!) आप उन्हें पछतावे के दिन से डराएँ, जब हर काम का फैसला कर दिया जाएगा, और वे पूरी तरह से ग़फ़लत में हैं और वे ईमान नहीं लाते।" [सूरा मरयम : 39]

59- एक व्यक्ति अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सामने बैठा और बोला : ऐ अल्लाह के रसूल! मेरे कुछ ग़ुलाम हैं। वह मुझसे झूठ बोलते हैं, मेरे साथ विश्वासघात करते हैं और मेरी अवज्ञा करते हैं। जबकि मैं उनको गाली देता हूँ और मारता हूँ। उनके साथ मेरे इस बर्ताव के कारण मेरा हाल क्या होगा? आपने कहा : "@उनके द्वारा की गई तुम से विश्वासघात, अवज्ञा तथा तुमसे झूठ बोलने और तुम्हारे द्वारा उनको दी गई सज़ा का हिसाब होगा*। अगर तुम्हारे द्वारा उनको दी गई सज़ा उनके गुनाहों के बराबर होगी, तो काफ़ी होगी। न तुम्हारे हक़ में जाएगी और न तुम्हारे विरुद्ध। लेकिन अगर तुम्हारे द्वारा उनको दी गई सज़ा उनके गुनाहों से कम होगी, तो तुम्हारे हक़ में जाएगी। जबकि अगर तुम्हारे द्वारा उनको दी गई सज़ा उनके गुनाहों से अधिक होगी, तो उनको दी गई अधिक सज़ा का तुमसे क़िसास लिया जाएगा।" वर्णनकर्ता कहते हैं : इतना सुनने के बाद वह व्यक्ति ज़रा हट के ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा। यह देख अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "क्या तुमने अल्लाह की किताब नहीं पढ़ी है, जिसमें लिखा है : "और हम क़यामत के दिन न्याय के तराज़ू रखेंगे। फिर किसी पर कुछ भी अन्याय नहीं किया जाएगा। और अगर किसी का कोइ कर्म राई के एक दाने के बराबर भी होगा, तो हम उसे ले आएँगे। और हम हिसाब लेने वाले काफ़ी हैं।" इसपर उस व्यक्ति ने कहा : अल्लाह की क़सम, ऐ अल्लाह के रसूल! मैं अपने और उनके हक़ में इससे बेहतर कुछ नहीं पाता कि उनको आज़ाद कर दूँ। मैं आपको ग़वाह बनाकर कहता हूँ कि वे सारे आज़ाद हैं।

60- अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अनहु ने हमें बताया कि एक व्यक्ति ने कहा : ऐ अल्लाह के नबी! काफ़िर को चेहरे के बल कैसे एकत्र किया जाएगा? आपने उत्तर दिया : "@जिसने उसे दुनिया में पैरों पर चलाया, क्या वह क़यामत के दिन उसे चेहरे के बल चला नहीं सकता?*" क़तादा कहते हैं : अवश्य चला सकता है, हमारे रब की प्रतिष्ठा की क़सम।

63- "जब तुम मुअज़्ज़िन को अज़ान देते हुए सुनो, तो उसी तरह के शब्द कहो, जो मुअज़्ज़िन कहता है। फिर मुझपर दरूद भेजो*। क्योंकि जिसने मुझपर एक बार दरूद भेजा, अल्लाह फ़रिश्तों के सामने दस बार उसकी तारीफ़ करेगा। फिर मेरे लिए वसीला माँगो। दरअसल वसीला जन्नत का एक स्थान है, जो अल्लाह के बंदों में से केवल एक बंदे को शोभा देगा और मुझे आशा है कि वह बंदा मैं ही रहूँगा। अतः जिसने मेरे लिए वसीला माँगा, उसे मेरी सिफ़ारिश प्राप्त होगी।"