अल्लाह के नामों और गुणों से संबंधित एकेश्वरवाद

अल्लाह के नामों और गुणों से संबंधित एकेश्वरवाद

4- अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अपने बरकत वाले और महान रब से रिवायत करते हैं कि उसने कहा है : "@ऐ मेरे बंदो! मैंने अत्याचार को अपने ऊपर हराम कर लिया है और उसे तुम्हारे बीच हराम किया है, अतः तुम एक-दूसरे पर अत्याचार न करो*। ऐ मेरे बंदो! तुम सब लोग पथभ्रष्ट हो, सिवाय उसके जिसे में मार्ग दिखा दूँ, अतः मुझसे मार्गदर्शन मांगो करो, मैं तुम्हें सीधी राह दिखाऊँगा। ऐ मेरे बंदो! तुम सब लोग भूखे हो, सिवाय उसके जिसे मैं खाना खिलाऊँ, अतः मुझसे भोजन माँगो, मैं तुम्हें खाने को दूँगा। ऐ मेरे बंदो! तुम सब लोग नंगे हो, सिवाय उसके जिसे मैं कपड़ा पहनाऊँ, अतः मुझसे पहनने को कपड़े माँगो, मैं तुम्हें पहनाऊँगा। ऐ मेरे बंदो! तुम रात-दिन त्रुटियाँ करते हो और मैं तमाम गुनाहों को माफ़ करता हूँ, अतः मुझसे क्षमा माँगो, मैं तुम्हें क्षमा करूँगा। ऐ मेरे बंदो! तुम मुझे नुक़सान पहुँचाने के पात्र नहीं हो सकते कि मुझे नुक़सान पहुँचाओ और मुझे नफ़ा पहुँचाने के पात्र भी नहीं हो सकते कि मुझे नफ़ा पहुँचाओ। ऐ मेरे बंदो! अगर तुम्हारे पहले और बाद के लोग तथा इनसान और जिन्न तुम्हारे अंदर मौजूद सबसे आज्ञाकारी इनसान के दिल पर जमा हो जाएँ, तो इससे मेरी बादशाहत में तनिक भी वृद्धि नहीं होगी। ऐ मेरे बंदो! अगर तुम्हारे पहले और बाद के लोग तथा तुम्हारे इनसान और जिन्न तुम्हारे अंदर मौजूद सबसे पापी इंसान के दिल पर जमा हो जाएँ, तो भी इससे मेरी बादशाहत में कोई कमी नहीं आएगी। ऐ मेरे बंदो! अगर तुम्हारे पहले और बाद के लोग तथा इनसान और जिन्न एक ही मैदान में खड़े होकर मुझसे माँगें और मैं प्रत्येक को उसकी माँगी हुई वस्तु दे दूँ, तो ऐसा करने से मेरे ख़ज़ाने में उससे अधिक कमी नहीं होगी, जितना समुद्र में सूई डालकर निकालने से होती है। ऐ मेरे बंदो! यह तुम्हारे कर्म ही हैं, जिन्हें मैं गिनकर रखता हूँ और फिर तुम्हें उनका बदला भी देता हूँ। अतः, जो अच्छा पाए, वह अल्लाह की प्रशंसा करे और जो कुछ और पाए, वह केवल अपने आपको कोसे।"

13- “निस्संदेह, अल्लाह पवित्र है और केवल पवित्र चीज़ों को ही स्वीकार करता है। अल्लाह ने ईमान वालों को वही आदेश दिया है, जो उसने रसूलों को दिया था।* अल्लाह ने फ़रमाया है : يَا أَيُّهَا الرُّسُلُ كُلُوا مِنْ الطَّيِّبَاتِ وَاعْمَلُوا صَالِحًا [सूरा अल-मोमिनून : 51] (हे रसूलो! पवित्र चीज़ें खाओ और अच्छे कर्म करो।) और फ़रमाया है : يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا كُلُوا مِنْ طَيِّبَاتِ مَا رَزَقْنَاكُمْ, [सूरा अल-बक़रा : 172] (हे ईमान वालो! हमने तुम्हें जो पवित्र चीज़ें दी हैं, उनमें से खाओ।) फिर एक व्यक्ति का उल्लेख किया, जो लंबी यात्रा करता है, जिसके बाल बिखरे हुए तथा शरीर धूल-धूसरित है, वह अपने हाथ आकाश की ओर उठाता है और कहता है : ‘हे मेरे रब! हे मेरे रब!’ जबकि उसका भोजन हराम का है, उसका पेय हराम का है, उसका वस्त्र हराम का है और उसका पोषण हराम से हुआ है, ऐसे में उसकी दुआ कैसे स्वीकार की जाएगी?”

15- मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को फ़रमाते हुए सुना : “उच्च एवं बरकत वाला अल्लाह फरमाता है : @हे आदम के पुत्र! जब तक तू मुझे पुकारता रहेगा तथा मुझसे आशा रखेगा, मैं तेरे पापों को क्षमा करता रहूँगा, चाहे वह जितने भी हों, मैं उसकी परवाह नहीं करूँगा।* हे आदम के पुत्र! यदि तेरे पाप आकाश की ऊँचाइयों के समान हो जाएँ, फिर तू मुझसे क्षमा याचना करे, तो मैं तुझे क्षमा कर दूँगा और मुझे इसकी कोई परवाह नहीं है।* हे आदम के पुत्र! यदि तू मेरे पास धरती के समान पाप लेकर इस हाल में आए कि तुमने मेरे साथ किसी को साझी नहीं किया था, तो मैं तेरे पास धरती के समान क्षमा लेकर आउँगा।"

17- अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "अल्लाह कहता है : @आदम की संतान ने मुझे झुठलाया, हालाँकि उसे ऐसा करने का हक नहीं था। मुझे गाली दी, हालाँकि ऐसा करने का उसे कोई अधिकार नहीं था*। उसका मुझे झुठलाना उसका यह कहना है कि उसने मुझे जिस प्रकार पहली बार पैदा किया है, उस प्रकार दोबारा पैदा नहीं करेगा, जबकि पहली बार पैदा करना मेरे लिए दूसरी बार पैदा करने से अधिक आसान नहीं था। उसका मुझे गाली देना,उसका यह कहना है कि अल्लाह ने पुत्र बना लिया है, हालाँकि मैं एक हुं तथा तमाम संपूर्ण गुणों में सम्पूर्णता से वेशेषित हूँ, न मैंने जना है और न ही जना गया हूँ और कोई मेरी बराबरी का नहीं है।"

20- अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "अल्लाह कहता है : @जो मेरे किसी वली (मित्र) से शत्रुता का रास्ता अपनाएगा, मैं उसके साथ जंग का एलान करता हूँ। मेरा बंदा जिन कामों के द्वारा मेरी निकटता प्राप्त करना चाहता है, उनमें मेरे निकट सबसे प्यारी चीज़ मेरे फ़र्ज़ किए हुए काम हैं*। जबकि मेरा बंदा नफ़्लों के माध्यम से मुझसे निकटता प्राप्त करता जाता है, यहाँ तक कि मैं उससे मोहब्बत करने लगता हूँ और जब मैं उससे मोहब्बत करता हूँ, तो उसका कान बन जाता हूँ, जिससे वह सुनता है; उसकी आँख बन जाता हूँ, जिससे वह देखता है; उसका हाथ बन जाता हूँ, जिससे वह पकड़ता है और उसका पाँव बन जाता हूँ, जिससे वह चलता है। अब अगर वह मुझसे माँगता है, तो मैं उसे देता हूँ और अगर मुझसे पनाह माँगता है, तो मैं उसे पनाह देता हूँ। मुझे किसी काम में, जिसे मैं करना चाहता हूँ, उतना संकोच नहीं होता, जितना अपने मोमिन बंदे की जान निकालने में होता हैम, जब कि वह मौत को नापसंद करता हो और मुझे भी उसे तकलीफ देना अच्छा नहीं लगता।"

34- "अल्लाह किसी मोमिन के द्वारा किए गए किसी अच्छे काम के महत्व को घटाता नहीं है। मोमिन को उसके अच्छे काम के बदले में दुनिया में नेमतें प्रदान की जाती हैं और आख़िरत में प्रतिफल दिया जाता है*। जबकि काफ़िर को उसके द्वारा अल्लाह के लिए किए गए अच्छे कामों के बदले में दुनिया में आजीविका प्रदान कर दी जाती है, यहाँ तक कि जब वह आख़िरत की ओर प्रस्थान करता है, उसके पास कोई अच्छा काम नहीं होता, जिसका उसे बदला दिया जाए।"

36- अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अनहु ने हमें बताया कि एक व्यक्ति ने कहा : ऐ अल्लाह के नबी! काफ़िर को चेहरे के बल कैसे एकत्र किया जाएगा? आपने उत्तर दिया : "@जिसने उसे दुनिया में पैरों पर चलाया, क्या वह क़यामत के दिन उसे चेहरे के बल चला नहीं सकता?*" क़तादा कहते हैं : अवश्य चला सकता है, हमारे रब की प्रतिष्ठा की क़सम।