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फ़ज़ीलतें तथा आदाब - الصفحة 3
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4- अज़ान तथा इक़ामत के बीच की जाने वाली दुआ रद्द नहीं होती।
5- ऐ अल्लाह! मेरे लिए मेरे धर्म को सुधार दे, जो मेरे मामले का संरक्षण है
7- ऐ अल्लाह! मैं तुझसे दुनिया एवं आख़िरत में सुरक्षा माँगता हूँ।
10- ऐ अल्लाह! मैं तेरी शरण माँगता हूँ क़र्ज़ के बोझ तथा शत्रुओं के हावी होने और दुश्मनों के हँसने से।
15- “सय्यदुल इस्तिग़फार (सर्वश्रेष्ठ क्षमायाचना)
29- तीन प्रकार के लोगों से अल्लाह क़यामत के दिन न बात करेगा, न उन्हें पवित्र करेगा और न उनकी ओर देखेगा।
31- अल्लाह के निकट सबसे घटिया और तुच्छ व्यक्ति वह है, जो शहंशाह कहलवाए। वास्तविक बादशाह तो बस अल्लाह है।
32- क्या तुम जानते हो कि झूठ तथा मिथ्यारोपन क्या है? यह लोगों के बीच लगाई-बुझाई की बातें करते फिरना है।
50- क्या तुम जानते हो कि निर्धन कौन है?
52- जो व्यक्ति मेरे हवाले से कोई बात बताए और उसे लगता हो कि वह झूठ है, तो वह झूठों में से एक है।
70- एक मर्द दूसरे मर्द के गुप्तांग और एक महिला दूसरी महिला के गुप्तांग को न देखे
98- क़यामत के दिन मौत को एक चितकबरे मेंढे
99- तुम्हारी आग जहन्नम की आग के सत्तर भागों में से एक भाग है
100- जिसने जान-बूझकर मुझपर झूठ बोला, वह अपना ठिकाना जहन्नम बना ले।
