शरई आदाब

शरई आदाब

7- मैं बच्चा था और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की देख-रेख में था। (खाना खाते समय) मेरा हाथ बर्तन में चारों ओर घूमा करता था। इसलिए अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मुझसे फ़रमाया : "@बच्चे, बिस्मिल्लाह पढ़ लिया करो, दाहिने हाथ से खाया करो और अपने सामने से खाया करो।*" चुनांचे उसके बाद हमेशा मैं इसी निर्देश के अनुसार खाना खाता रहा।

13- "जब तुममें से कोई वज़ू करे, तो अपनी नाक में पानी डालकर नाक झाड़े, और जो ढेलों से इस्तिंजा (शौच या मूत्र से पवित्रता अर्जन) करे, वह बेजोड़ (विषम) संख्या प्रयोग करे*, और जब तुममें से कोई नींद से जागे, तो अपने हाथों को बरतन में डालने से पहले धो ले, क्योंकि तुममें से किसी को नहीं पता कि रात के समय उसका हाथ कहाँ-कहाँ गया है।" सहीह मुस्लिम के शब्द हैं : "जब तुममें से कोई नींद से जागे, तो अपने हाथ को बरतन में उस समय तक न डुबोए, जब तक उसे तीन बार न धो ले। क्योंकि उसे नहीं पता कि रात के समय उसका हाथ कहाँ-कहाँ गया है।"

68- अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब प्रत्येक रात बिस्तर में जाते, तो अपनी दोनों हथेलियों को जमा करते, फिर उनमें फूँकते और उनमें "क़ुल हु-वल्लाहु अहद", "क़ुल अऊज़ु बि-रब्बिल फ़लक़" और "क़ुल अऊज़ु बि-रब्बिन नास"* तीनों सूरतें पढ़ते और दोनों हथेलियों को जहाँ तक संभव होता अपने शरीर पर फेरते। हाथ फेरने का आरंभ अपने सर, चेहरे और शरीर के अगले भाग से करते। ऐसा तीन बार करते।