इबादतों पर आधारित फ़िक़्ह - الصفحة 3

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1- जिसने अज़ान सुनने के बाद यह दुआ पढ़ी : اللهم رب هذه الدعوة التامة، والصلاة القائمة، آت محمدا الوسيلة والفضيلة، وابعثه مقاما محمودا الذي وعدته अर्थात "ऐ अल्लाह! इस संपूर्ण आह्वान तथा खड़ी होने वाली नमाज़ के रब! मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को वसीला (जन्नत का सबसे ऊँचा स्थान) और श्रेष्ठतम दर्जा प्रदान कर और उन्हें वह प्रशंसनीय स्थान प्रदान कर, जिसका तूने उन्हें वचन दिया है।" उसके लिए क़यामत के दिन मेरी सिफ़ारिश अनिवार्य हो जाएगी।

22- जिसने प्रत्येक नमाज़ के पश्चात तैंतीस बार सुब्हान अल्लाह, तैंतीस बार अल-हम्दु लिल्लाह और तैंतीस बार अल्लाहु अकबर कहा, जो कि कुल निन्यानवे बार हुए, और सौ पूरा करने के लिए ''لا إله إلا الله وحده لا شريك له، له الملك وله الحمد وهو على كل شيء قدير'' (अल्लाह के सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं, वह अकेला है, उसका कोई साझी नहीं, उसी के लिए बादशाहत है, उसी के लिए सब प्रशंसाएँ हैं, और उसको हर चीज़ पर सामर्थ्य प्राप्त है) कहा, उसके समस्त पाप माफ़ कर दिए जाते हैं, यद्यपि वे समुद्र के झाग के बराबर ही क्यों न हों।

51- अमल छह प्रकार के हैं और लोग चार प्रकार के हैं। रही बात छह आमाल की, तो उनमें से दो प्रकार के अमल वाजिब करने वाले हैं, दो प्रकार के अमल बराबर-बराबर हैं, एक प्रकार का अमल ऐसा नेक अमल है कि उसका सवाब दस गुना मिलता है और एक प्रकार का अमल ऐसा नेक अमल है कि उसका सवाब सात सौ गुना मिलता है