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फ़िक़्ह तथा उसूल-ए-फ़िक़्ह - الصفحة 11
फ़िक़्ह तथा उसूल-ए-फ़िक़्ह - الصفحة 11
21- मुआहिद (ऐसा ग़ैरमुस्लिम जिसे सुरक्षा का वचन दिया गया हो) की दियत एक आजाद व्यक्ति की दियत की आधी है।
68- जिसने हमपर हथियार उठाया, वह हममें से नहीं है।
69- चोर का हाथ एक चौथाई दीनार या उससे अधिक में काटा जाएगा।
71- वापस जाकर फिर से नमाज़ पढ़ो, क्योंकि तुमने नमाज़ पढ़ी ही नहीं।
74- लोग उस समय तक भलाई में रहेंगे, जब तक इफ़तार करने में जल्दी करते रहेंगे।
78- तुम लोग सहरी खाया करो, क्योंकि सहरी में बरकत है।
79- रमज़ान से एक या दो दिन पहले रोज़े न रखो। परन्तु जो व्यक्ति (पहले से) रोज़े रख रहा हो, वह रख सकता है।
81- किसी मुसलमान औरत के लिए जायज़ नहीं कि एक दिन एवं एक रात की यात्रा किसी महरम के बिना करे।
85- शब-ए-क़द्र को (रमज़ान के) अंतिम दस दिनों की विषम रातों में तलाश करो।
95- तब तुम मुझे गवाह मत बनाओ। क्योंकि मैं किसी अन्याय का गवाह नहीं बनता।
